
लव आजकल
लव आजकल में इम्तियाज़ अली ने दो पीढ़ी के युवाओं को प्रेम के एक ही स्वरूप में दिखाया है। फर्क सिर्फ इतना है कि नई पीढ़ी इस प्रेम को देर में समझती है या मानती है। फिल्म की नायिका एक आत्मनिर्भर लड़की है जो देश की पुरानी और बेरंगी हो चुकी इमारतों में रंग भरना चाहती है। दोनों पीढि़यों में प्रेम तो एक जैसा ही है मगर दोनों की नायिकाओं में अंतर है। इम्तियाज़ अली ने अपनी फिल्मों में जो नया प्रयोग किया है वो नई पीढ़ी की नायिका में नज़र आता है। नायिका नई सोच की है, उसका दिल जो कहता है, वो सब कुछ करती है। सामाजिक बंदिशों से कोसों दूर है। अपने जीवन के छोटे-बड़े फैसले खुद करती है। चाहे वो किसी अजनबी से दोस्ती करना हो या अपनी नानी की इच्छा के विरूद्ध जाकर अपना करियर चुनना हो। अंदर से वो भले ही आम लड़की है मगर बाहर से वो उन सब से अलग दिखती है। स्वाभाविक भावनाओं से अलग रहने की कोशिश करती हुई नज़र आती है और उन भावनाओं को छिपाने का भरसक प्रयास करती है। नायिका और नायक वास्तविकता को समझते हुए, पूरी योजना के साथ अलग होते हैं और इस समझदारी के लिए एक दूसरे की पीठ थपथपाते हैं। अलग होने के बाद भी अंदर से एक दूसरे से जुड़े रहते हैं लेकिन खुद को अलग साबित करने के लिए एक दूसरे को अपनी भावनाएं नहीं बताते। अचानक दूसरे लड़के से शादी का नाम आते ही नायिका की असहजता साफ नज़र आने लगती है। वहीं पर इम्तियाज़ अली अपने नए प्रयोग में वास्तविकता का छिड़काव करते हैं। नई सोच की नई नायिका एक बार फिर भारतीय समाज की एक महत्वपूर्ण संस्था- विवाह, की रस्मों को लेकर विश्वास से भरपूर दिखती है और उनकी परवाह भी करती है लेकिन फिर जब उसे अपनी जिंदगी नायक के बगैर सोच के सिहरन महसूस होती है तब वो इम्तियाज़ अली की नई सोच की नायिका बनकर उभरती है और अंत सुखद लगता है। इम्तियाज़ अली की यह फिल्म भारतीय समाज में हो रहे धीरे-धीरे बदलाव की अच्छी तस्वीर पेश करती है।
-शुभी चंचल
Truely said... Nice analysis on Imtiyaaz :)
ReplyDeleteThanks... bhai.. :-)
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