खो के कभी हम पा न सके,
फिर भी तुझे हम भुला न सके,
दिन ढ़लता रहा,
तारीखे भी बदली,
ख़्वाबों में तुझे हम मनाते रहे,
पर अपनी दुनिया में तुझको हम बुला न सके,
फिर भी तुझे हम भुला न सके।
सोचा था हमराह नहीं,
हमदर्द ही मिलेगा,
ग़म इतना तेज़ था तेरे हिज्र का,
किसी महफ़िल में खुद को रुला न सके,
फिर भी तुझे हम भुला न सके।
तू दूर नहीं तू पास ही है,
मेरी यादों में, एहसासों में,
चाहा था बहुत कुछ कहना मगर,
तुझे उन एहसासों से मिला न सके,
फिर भी तुझे हम भुला न सके।
खो के कभी हम पा न सके,
फिर भी तुझे हम भुला न सके।
- शुभी चंचल
फिर भी तुझे हम भुला न सके,
दिन ढ़लता रहा,
तारीखे भी बदली,
ख़्वाबों में तुझे हम मनाते रहे,
पर अपनी दुनिया में तुझको हम बुला न सके,
फिर भी तुझे हम भुला न सके।
सोचा था हमराह नहीं,
हमदर्द ही मिलेगा,
ग़म इतना तेज़ था तेरे हिज्र का,
किसी महफ़िल में खुद को रुला न सके,
फिर भी तुझे हम भुला न सके।
तू दूर नहीं तू पास ही है,
मेरी यादों में, एहसासों में,
चाहा था बहुत कुछ कहना मगर,
तुझे उन एहसासों से मिला न सके,
फिर भी तुझे हम भुला न सके।
खो के कभी हम पा न सके,
फिर भी तुझे हम भुला न सके।
- शुभी चंचल