खो के कभी हम पा न सके,
फिर भी तुझे हम भुला न सके,
दिन ढ़लता रहा,
तारीखे भी बदली,
ख़्वाबों में तुझे हम मनाते रहे,
पर अपनी दुनिया में तुझको हम बुला न सके,
फिर भी तुझे हम भुला न सके।
सोचा था हमराह नहीं,
हमदर्द ही मिलेगा,
ग़म इतना तेज़ था तेरे हिज्र का,
किसी महफ़िल में खुद को रुला न सके,
फिर भी तुझे हम भुला न सके।
तू दूर नहीं तू पास ही है,
मेरी यादों में, एहसासों में,
चाहा था बहुत कुछ कहना मगर,
तुझे उन एहसासों से मिला न सके,
फिर भी तुझे हम भुला न सके।
खो के कभी हम पा न सके,
फिर भी तुझे हम भुला न सके।
- शुभी चंचल
फिर भी तुझे हम भुला न सके,
दिन ढ़लता रहा,
तारीखे भी बदली,
ख़्वाबों में तुझे हम मनाते रहे,
पर अपनी दुनिया में तुझको हम बुला न सके,
फिर भी तुझे हम भुला न सके।
सोचा था हमराह नहीं,
हमदर्द ही मिलेगा,
ग़म इतना तेज़ था तेरे हिज्र का,
किसी महफ़िल में खुद को रुला न सके,
फिर भी तुझे हम भुला न सके।
तू दूर नहीं तू पास ही है,
मेरी यादों में, एहसासों में,
चाहा था बहुत कुछ कहना मगर,
तुझे उन एहसासों से मिला न सके,
फिर भी तुझे हम भुला न सके।
खो के कभी हम पा न सके,
फिर भी तुझे हम भुला न सके।
- शुभी चंचल
पा के खोना किस्मत है और खो के पाना भी किस्मत ही है....
ReplyDeleteतुम अच्छा लिख रही हो समय के साथ-साथ निखार भी आता जायेगा.
Gr8... Keep going... :)
ReplyDeletevaise shubhi mujhe lag rha hai sayad apne ye kavita humare liye likhi hai na
ReplyDeletekhayair bahut khubsurat shabd diye hai is kavita mein aur shabdon k sath picture usse kai jyada khubsurat hai
keep it up
gd g8 and best
take care
This is the best poem of my life & ye to mujhe pata tha ki tum achha likhti ho but itna achha likhti ho ye nahi pata tha...
ReplyDeleteaur kab likhogi??? i'm waiting........
ReplyDeletebahut sundar....
ReplyDeleteलेखनी में दम है शुभू....सेंटी कर दिया..
ReplyDeleteतू दूर नहीं तू पास ही है,
मेरी यादों में, एहसासों में,
चाहा था बहुत कुछ कहना मगर,
तुझे उन एहसासों से मिला न सके,
फिर भी तुझे हम भुला न सके।
बहुत सुन्दर कविता तुम्हारी लेखनी को पंख लगे...
bhut achcha likhti ho...........
ReplyDeletetum itna achcha likhti ho...........????????
unbeliveble yar
ho sake to aur likhna
i m waiting..............
best of luck