Aagaaz.... nayi kalam se...

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Kya likhun...???

Tuesday, October 26, 2010

......आग

ये कविता लिखते समय हमने सोचा कि इसे ब्लॉग पर नहीं लिखेंगे लेकिन इस ....आग की जलन अकेले सह पाना मेरे लिए थोडा मुश्किल हो रहा था। इसीलिए आपके साथ बाँटना रही हूँ। मेरे एक करीबी नवविवाहित जोड़े में से एक को मौत ने अलग कर दिया और दूसरे को दुनिया की पथरीली राहों पर चलने के लिए अकेला छोड़ दिया। ये आग मुझे ज्यादा जला रही है क्यूंकि वो मेरे करीबी थे। बचपन से एक बात सुनते आ रहे है कि उपरवाला जो करता है अच्छा करता है। अगर ये सच है कि हमारी ज़िन्दगी के फैसले वही उपरवाला करता है तो इस कांड की अच्छाई मेरे लिए एक चुभता सवाल बन गयी है.....आपके पास अगर जवाब हो तो ज़रूर दीजियेगा। कुछ पंक्तियों के ज़रिये अपनी ....आग को ठंडा करने की कोशिश कर रही हूँ-


अब कब वो कली मुस्काएगी,
जाने कब वो हँस पायेगी।


कुछ दिन ही हुए थे खिले हुए,
जीवनसाथी से मिले हुए,
कुछ ही दिन का वो साथ रहा,
कुछ कम ही हुए थे शिकवे-गिले।


बदलू कैसे उस जीवन को,
दुनिया उनकी बेरंगी सी,
संगीत था जिसके चलने में,
वो बैठी है सत्संगी सी।


मुझसे पूछे है एक सवाल,
क्या खता है मेरी बतला दो।
दिल जलजल कर ये कहता है,
तू कभी जान न पायेगी,
तू कभी जान न पायेगी।


अब कब वो कली मुस्काएगी,
जाने कब वो हँस पायेगी......



-शुभी चंचल

Friday, October 22, 2010

ख्याल...

मैं सुबह शाम एक ही गीत गाती रही,
हर वक्त, हर लम्हा याद उनकी आती रही,

ये मेरा नसीब था या आँखों की जासूसी,
हर गली नाम उनका सामने लाती रही,

जो मिला ज़िक्र उनका यूँ ही छेड़ता गया,
कुछ अच्छा कुछ बुरा पर वो मुझे भाती रही,

कुछ लफ्ज़ दिए थे, कागज़ पर, मैं पढ़ चुकी थी उनको,
पर बार-बार, सौं बार पढ़ती वो पाती रही,

मैं सुबह शाम एक ही गीत गाती रही,
हर वक्त, हर लम्हा याद उनकी आती रही

Wednesday, October 13, 2010

किसान का सपूत...

भूखी कोख से जन्म पाता है,
नदी में नहाता है,
बूस्ट नहीं, कॉम्प्लान नहीं,
सूखी रोटी से भूख मिटाता है,
वो भी पेट भर नहीं खाता है,
अगले दिन के लिए बचाता है,
बैग, पेंसिल, रबर छोड़कर,
हल, खुरपी, बीज पहचानता है,
बड़े स्टेडियम से अन्जान,
खेतों में गुल्ली-डंडों से बतलाता है,
बारह साल की उम्र में ही बड़ा होकर,
थके बूढ़े बाप का हाथ बटाता है,
सब कुछ बोता है,जोतता है,काटता है,
फिर भी थाली में सूखी रोटी और प्याज़ का टुकड़ा ही आता है,

ये कोई मंत्री का लड़का नहीं जो गाड़ी को हवा में चलात्ता है,
ये गरीब किसान का सपूत है जो गरीबी में भी मुस्कुराता है.

Monday, October 4, 2010

देश की उन्नति....

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