ये अफ़सोस है ...... इस दुनिया के उन पुरुषों कि सोच पर जो आज भी स्त्रियों को हीन भावना से देखते है........
तालीम दिलाना भूल गए,
पर सबक सिखाना याद रहा,
मुझसे तो तुम आबाद रहे,
पर मेरा जहाँ बर्बाद रहा,
भागी बनाना भूल गए,
पर बाँट के रखना याद रहा,
जब खिला फूल मेरे आँगन,
तेरी ही औलाद रहा,
रिश्तों को निभाना भूल गये,
सांसों को जकड़ना याद रहा,
तूने जो जिया वो जीवन था,
मेरा हर पल जेहाद रहा......
-अज्ञात...
pata nhi hum log purushon se acepections kyon karte hai. kyon wo humko samjhe, hume pahle khud ko samjhna hoga....
ReplyDeleteapki post sundar hai...
bilkul sahi kaha aapne.......dhanyawad...
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