Aagaaz.... nayi kalam se...

Aagaaz.... nayi kalam se...
Kya likhun...???

Wednesday, March 21, 2012

मेरी सच्चाई...



दिख रही है मुझे मेरी सच्चाई,
मेरी जिंदगी की तरह खाली है मेरा कमरा,
आवाज़ दीवारों से टकराकर आ रही है मेरे पास,
डर नहीं कि कोई समझ लेगा आह मेरी,
ग़म नहीं कि कोई पोछ कर आंसू मेरा कहेगा कि
‘सब ठीक है‘
बल्ब सिर्फ मुझे देखेगा
और हवा पंखे की सिर्फ मेरे बाल उड़ाएगी,
ये डिबिया गुम नहीं होगी कभी,
न ये गिलास कोई उल्टा रखेगा,
कुछ नहीं बिगड़ेगा, कभी नहीं,
मुझे खुश होना चाहिए मगर,
दिख रही है मुझे मेरी सच्चाई।।
-शुभी चंचल

No comments:

Post a Comment