Aagaaz.... nayi kalam se...

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Kya likhun...???

Wednesday, September 15, 2010

आगाज़..

सादर प्रणाम,
में शुभी चंचल पत्रकारिता की छात्रा हूँ। कई दिनों से इस ब्लॉग जगत का भ्रमण कर रही हूँ।
कई लोगो के विचारो को पढ़ा और समझने की कोशिश की। फिर एक दिन खुद का ब्लॉग बना डाला लेकिन लिखने लायक कुछ समझ नहीं आया।
हमारे मुकुल सर जो अक्सर मज़ाक में छात्रों को कुछ नया करने के लिए प्रेरित कर जाते है, मुझे भी अपनी पहली पोस्ट पढने की सलाह देते हुए लिखने की प्रेरणा दी।उनके मार्गदर्शन और दोस्तों के सहयोग से आज ये काम शुरू कर रही हूँ। आशा है आप सभी का सहयोग मिलेगा....


निदा फाज़ली की एक ग़ज़ल याद आ रही है-

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम है,
रुख हवाओ का जिधर का है, उधर के हम है,
वक्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियों से,
किसको मालूम, कहाँ के, किधर के हम है

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