Aagaaz.... nayi kalam se...

Aagaaz.... nayi kalam se...
Kya likhun...???

Saturday, March 18, 2017

नहीं जाता...

मेरे हिस्से की ज़िन्दगी अब कोई और जी ले
बची सांसों का बोझ उठाया नहीं जाता,
आवाज़ें हैं बहुत, कराहता बचपन है
इस शोर में अब और गाया नहीं जाता,
आंखों में नमी है, चीखें हैं, सिसकियां हैं
अब दूसरों को और हंसाया नहीं जाता...
-शुभी चंचल

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