IIMC ने बहुत कुछ
दिया..... जिसे गिना नहीं जा
सकता.... उसमें
से ही
है कई
अच्छे दोस्त......
उन दोस्तों
में से
एक .... करुना
जी... उनके
लिए लिखी
गई ये
कविता... उनसे बिछड़ते समय ....
वो आई और घुल गई ज़िन्दगी में,
जैसे रंग कोई घुल जाए पानी में,
बदल जाए पानी भी,
और बदला ही रहे,
अचानक आई धूप,
उड़ने लगा रंग भी, पानी भी,
उड़ रहा है धीरे-धीरे,
उड़ जाएगा सामने ही,
रह जायेंगे निशां बाकी,
उन निशानों के साथ यादें भी,
उन रंगीन पानी की तसवीरें.... और साथ,
पानी और रंग का....
- शुभी चंचल
वो आई और घुल गई ज़िन्दगी में,
जैसे रंग कोई घुल जाए पानी में,
बदल जाए पानी भी,
और बदला ही रहे,
अचानक आई धूप,
उड़ने लगा रंग भी, पानी भी,
उड़ रहा है धीरे-धीरे,
उड़ जाएगा सामने ही,
रह जायेंगे निशां बाकी,
उन निशानों के साथ यादें भी,
उन रंगीन पानी की तसवीरें.... और साथ,
पानी और रंग का....
- शुभी चंचल
-1, sad
ReplyDeletekya Sad sir???
ReplyDeletesundar abhivyakti
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