Aagaaz.... nayi kalam se...

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Kya likhun...???

Friday, April 27, 2012

पलटते कदम...


आठ महीने पहले दिल्ली की तरफ बढ़े कदम आज पलट रहें है... फिर उन्ही गलियों में, उन्हीं रास्तों पर जहाँ से गुज़रते हुए अपनी मंज़िल तय की थी और उस मंज़िल को पाने का रास्ता दिल्ली माना था. कुदरत के किसी करिश्मे की तरह मेरा दिल्ली आना, आठ महीने पर्वत, जंगलों और तरह तरह के लोगों के बीच रहना और उनमें इतना रम जाना कि खुद को भूल जाना या शायद खुद के और करीब आ जाना ... ये सब ज़िन्दगी भर का किस्सा हो चला है... एक बड़े अख़बार की नौकरी के साथ एक बार फिर तहजीबों के शहर लखनऊ का रुख़ कर रही हूँ... इन आठ महीनों में इस अजनबी शहर ने बहुत कुछ दिया है और बदले में लिए है  मेरे कुछ भ्रम, मेरी अधपकी सोच और दुनियादारी की नासमझी... निखारे है मेरे अल्फाज़, मेरा लहज़ा और दिया है नया नज़रिया...
अब देखना है... ज़िन्दगी और क्या क्या रंग दिखाती है... अपने शहर में... क्यूंकि भले ही शहर वही है लेकिन अब तक वो मेरे लिए जन्मभूमि थी..और अब होगी कर्मभूमि.... शहर को और करीब से जानने का मौका मिल रहा है... अपनी नयी आँखों से...  
-शुभी चंचल 

5 comments:

  1. शुभकामनाएं...

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  3. very nice blog Shubhi, All the best for you future endeavors.

    -Babita

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  4. ....................................

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  5. hardik subhkamnaye...isi tarah satat apne vicharo ko lipibadha karti rahiye.

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