सब कुछ तो वैसा है प्यारे,
हाँ मगर देश बढ़ रहा है...
बेटियां कोख में मरती हैं,
माँ ही क़त्ल करती है
हाँ मगर देश बढ़ रहा है...
बेटे को मिलता मौके पर मौका,
बेटियां चलाए चूल्हा चौका,
हाँ मगर देश बढ़ रहा है...
अमीर का दस-दस मकान खड़ा है,
गरीब के छप्पर में छेद बड़ा है,
हाँ मगर देश बढ़ रहा है...
बेटा लाएगा पैसा चार,
बेटी देखेगी घर बार,
हाँ मगर देश बढ़ रहा है...
औरत शोभा चार दीवारी की,
ज़रुरत नहीं हिस्सेदारी की,
हाँ मगर देश बढ़ रहा है...
फैसला होगा सब साहब जी का,
शक्कर तेज़ या नमक है फीका,
हाँ मगर देश बढ़ रहा है...
लड़की के नाम है सीख का पर्चा,
लड़के पर बस पैसा खर्चा,
हाँ मगर देश बढ़ रहा है...
-- शुभी चंचल
हाँ मगर देश बढ़ रहा है...
बेटियां कोख में मरती हैं,
माँ ही क़त्ल करती है
हाँ मगर देश बढ़ रहा है...
बेटे को मिलता मौके पर मौका,
बेटियां चलाए चूल्हा चौका,
हाँ मगर देश बढ़ रहा है...
अमीर का दस-दस मकान खड़ा है,
गरीब के छप्पर में छेद बड़ा है,
हाँ मगर देश बढ़ रहा है...
बेटा लाएगा पैसा चार,
बेटी देखेगी घर बार,
हाँ मगर देश बढ़ रहा है...
औरत शोभा चार दीवारी की,
ज़रुरत नहीं हिस्सेदारी की,
हाँ मगर देश बढ़ रहा है...
फैसला होगा सब साहब जी का,
शक्कर तेज़ या नमक है फीका,
हाँ मगर देश बढ़ रहा है...
लड़की के नाम है सीख का पर्चा,
लड़के पर बस पैसा खर्चा,
हाँ मगर देश बढ़ रहा है...
-- शुभी चंचल
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