Aagaaz.... nayi kalam se...

Aagaaz.... nayi kalam se...
Kya likhun...???

Thursday, April 23, 2015

सही नहीं है...

एक हार... बड़ी निराशा... खालीपन... गहरा आक्रोश और अगले दिन से नाउम्मीदी।

क्या यही वजह काफी नहीं है फांसी पर लटक जाने के लिए, तीन मंज़िला इमारत से कूद जाने के लिए? कलाई की नस काट लेने या खुद को घातक इंजेक्शन लगा लेने के लिए?
पिछले एक महीने में मेरे आसपास चार आत्महत्या की गईं।
(अब तक की खबर के मुताबिक)
पहला-नवीं क्लास के पहले दिन अपने स्कूल की छत से कूदकर राहुल ने जान दे दी। दीवार पर लिख गया 'वेटिंग फॉर यू जूलियट'। अपने पीछे छोड़ गया कई सवाल। मां-बाप और भाई चौराहों पर तख़्ती लेकर बैठे हैं कि मेरा बेटा ख़ुदकुशी नहीं कर सकता। अज्ञात छात्रों पर हत्या का आरोप भी लग गया।
दूसरा-मेरी ही सीनियर अंशु सचदेवा ने अपने घर में फांसी लगा ली। रोका की रस्म हो चुकी थी। होने वाले जीवनसाथी का साथ न होना वजह कही जा रही है। अंशु की बहन ने बताया कि आखिरी मैसेज अंशु ने अपने ब्वॉयफ्रेंड को किया था, 'आई एम गोइंग'।
तीसरा-एम्स की एक डॉक्टर ने खुद को घातक इंजेक्शन देकर ख़ुदकुशी कर ली क्योंकि उनका पति गे था। घटना के एक दिन पहले डॉक्टर ने अपनी फेसबुक वॉल पर पति के लिए प्यार को स्वीकार करते हुए अपने एहसास बांटे।
चौथा-'आप' की रैली में एक किसान ने हज़ारों लोगों के सामने अपनी जान दे दी और एक पर्ची में अपनी बर्बादी की दास्तान के साथ सवाल छोड़ गया कि इस बर्बादी के साथ मैं घर कैसे लौटूं...।
राहुल के मां-बाप दोनों काम करते हैं।एग्जाम के बाद वो अगली क्लास के पहले दिन स्कूल जा रहा होगा। जांच में उसके बैग से टिफिन, पानी की बोतल और एक केला निकला था। शायद घर से निकलते वक़्त मां ने कहा होगा टिफिन खतम करके आना और केला रास्ते में ही खा लेना। शायद मां मुस्कराई भी हो कि उनका बेटा 9वीं में चला गया...।
अंशु घटना वाले दिन अपनी बहन के घर से खाना खाकर आईं थीं। क्या अंशु को पता था कि ये उसका आखिरी कौर था...। शायद उस रात अंशु के पिता शादी के लिए वेन्यू सोच रहे हों।शायद मां साड़ियों की गिनती कर रही हो।

शायद के साथ लिखे वाक्य सिर्फ मेरी कोरी कल्पना है। सच में मैं सोचकर दंग रह जाती हूँ कि किस तरह का अवसाद पनपता होगा... कितनी तीव्र होती होगी मरकर मिट जाने की इच्छा... किस कदर आक्रोश से भरा हुआ मन सिर्फ एक वजह के लिए।
उस एक वजह में इंसान जोड़ लेता है कई और वजहें टूटी-फूटी भी।
एक डॉक्टर जिसने कई साल पढ़ाई करके डिग्री हासिल की। उसने जान दे दी क्योंकि उसका पति गे था?
एक लड़की जो खुद इतने अच्छे काम से जुड़ी थी उसने जान दे दी उस शख्स के लिए जिसने उसकी क़द्र ही नहीं की?
एक किसान झूल गया जिसके पास खेती करने का हुनर हमेशा रहने वाला था?
एक लड़का कूद गया जो अभी ज़िन्दगी की रेस में शामिल ही नहीं हुआ था?

सही नहीं है....।

अनुपम खेर ने एक शो में कहा था कि जब आपको लगे कि सब कुछ ख़त्म हो गया है... समझो वहीँ से एक नई शुरुआत है। क्योंकि अब और कुछ ख़त्म होने को बचा ही नहीं है। अब सिर्फ कुछ बन सकता है।

सच है कि ज्ञान देना आसान है... बातें करना आसान है पर सच ये भी है कि अगर ये बातें खुद से कर ली जाएं तो ख़ुदकुशी की नौबत न आए।
किसी ने स्टेटस लिखा था कि 'ऐसा क्या था जो वो कह न पाई, क्यों नहीं कहा और हम सिर्फ नाम के दोस्त साबित हुए...वगैरह वगैरह'।

मुझे लगता है हम खुद से कह नहीं पाते... खुद से बात नहीं कर पाते... किसी और के कहने से ज़्यादा सुकून तब मिल सकता है जब हम खुद से कहे कि क्या हुआ जो ये नहीं हो सका... रास्ते और भी हैं।
रात लम्बी सही पर सुबह तो आनी ही है।
उस सुबह का इंतज़ार ही अगर ज़िन्दगी बन जाए तो क्या बुरा है।

कोई तो होगा जिसे अब भी मेरी इस दुनिया में मौजूदगी चाहिए होगी।बिना मेरे स्टेटस पढ़े, बिना लाइक-कमेंट के...। बिना गुड मॉर्निंग मैसेज और दिन में चार कॉल किए.... कोई तो होगा जो मेरे बारे में कभी सोचता होगा। शायद किसी की दुआओं में अब भी मेरा ज़िक्र हो। मासूम दुआ के लिए ही सही क्या हम जी नहीं सकते? वो मां-बाप, भाई-बहन, कोई छूटा दोस्त, कोई रूठा साथी कोई भी हो सकता है।

आत्महत्या की खबर निराशा भरती है... मरता एक शख्स है और कई और को इस तरफ एक कदम और आगे बढ़ा देता है... कई लोगों को ज़िन्दगी की कीमत भी समझा देता है पर.....

सही नहीं है।

ज़रा सोचिए कोई एक तो होगा जो आपके चले जाने पर फूट-फूट कर रोएगा... जिसे आप कभी उदास भी नहीं देखना चाहते।चार मिनट के लिए सही... चार घण्टे के लिए सही...चार दिन के लिए सही... चार महीने के लिए सही। मत रुलाना उसे।
बस एक वजह ढूंढ लेना जीने के लिए।

किसी और से करें न करें... खुद से करिए... एक पूरी ज़िन्दगी है बतियाने के लिए।
ज़िन्दगी से बातें करिए।

आत्महत्या सही नहीं है।

2 comments:

  1. Exactly...
    Quitting is not the way to get rid of all the problems...
    Think over life not suicide.. Each moment could be a new beginning.. new start.. There is something for you somewhere...

    ReplyDelete