Aagaaz.... nayi kalam se...

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Kya likhun...???

Monday, September 26, 2016

तुम_और_मैं

एक सीरीज शुरू कर रहे हैं... कोई विषय नहीं सिर्फ कुछ संवाद हैं...
हो सके तो सुधार के लिए अपनी राय दें... सीरीज लिखने का आइडिया फेसबुक से ही आया।
तुम और मैं नाम है सीरीज का।
तुम और मैं की कोई उम्र नहीं, जेंडर नहीं, गांव नहीं, देश नहीं, भाषा नहीं, सम्बन्ध नहीं.... ये कहीं के भी हो सकते हैं। इनके बीच का रिश्ता कुछ भी हो सकता है। ये बात करते हैं, खूब बात करते हैं।
#पहली_कड़ी
तुम- कब आयी?
मैं- मैं तो यहीं थीं।
तुम-सोच रहा था तुम होती तो कैसा होता
मैं- पर मैं तो यहीं थी। तुमने मुझे पहले नहीं देखा?
तुम- नहीं.. मैं तो बस यही सोच रहा था कि तुम होती तो कैसा होता।
मैं- तुम्हारा ध्यान कहीं और था शायद।
तुम- हां मैं हमेशा यही सोचता हूँ कि तुम होती तो कैसा होता।
मैं- अगर तुम देख पाते तो जान पाते कि मैं होती तो कैसा होता।
तुम- हां... मैं जल्दी ही जान लूंगा कि तुम होती तो कैसा होता।
मैं- मैं अब जा रही हूँ...
मैं-सुना तुमने? मैं जा रही हूँ...। सुनते क्यों नहीं?
तुम- मैं कुछ सोच रहा था।
मैं- अब मुझे मत बताना कि तुम क्या सोच रहे थे...
#तुम_और_मैं

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